महिलाओं की पहल:बेंगलुरु की शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार ने आईबीएम की नौकरी छोड़ी, बिजनेस की शुरुआत कर बनाए ऐसे बर्तन जिन्हें खा भी सकते हैं

महिलाओं की पहल:बेंगलुरु की शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार ने आईबीएम की नौकरी छोड़ी, बिजनेस की शुरुआत कर बनाए ऐसे बर्तन जिन्हें खा भी सकते हैं
  • बेंगलुरु की दो महिलाओं शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार ने आईबीएम की नौकरी छोड़कर ऐसे बर्तन बनाना शुरू किए हैं, जिन्हें खा भी सकते हैं।
  • इनकी कंपनी का नाम एडिबल-प्रो है, जो इको फ्रेंड्ली और जीरो वेस्ट खाने योग्य कटलरी बनाती है।
  • यकीन करना थोड़ा कठिन होगा कि ऐसे बर्तन भी बनाए जा रहे हैं, जिन्हें आप खा सकते हैं। जी हां, यह सच है। यदि आपको आइसक्रीम ऐसे बाउल में दी जाए जो चॉकलेट से बनी हो या सूप के लिए ऐसा मसालेदार चम्मच दिया जाए जिसे अंत में आप खा लें या खाने के अंत में हम वे कटोरियां-चम्मच भी खा जाएं, जिनमें परोसा गया है तो कैसा लगेगा?

    यह कहानी नहीं हकीकत है। बेंगलुरु की दो महिलाओं शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार ने आईबीएम की नौकरी छोड़कर ऐसे बर्तन बनाना शुरू किए हैं, जिन्हें खा भी सकते हैं।

    दोनों ने समाज में बदलाव लाने के लिए अपनी कंपनी स्थापित की। इस काम के रिसर्च व डेवलपमेंट पर इन्हें करीब एक वर्ष का समय लगा।

    80 से अधिक प्रोडक्ट्स

    इनकी कंपनी का नाम एडिबल-प्रो है, जो इको फ्रेंड्ली और जीरो वेस्ट खाने योग्य कटलरी बनाती है। इसमें कांटे, छुरी, चम्मच, प्लेट, कटोरी के अलावा 80 से अधिक प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। इनकी कीमत सामान्य ही है जिसमें खाने की प्लेट और कटोरी भी एक मीठी डिश होती है।

    भोजन और नाश्ते में उपयोग होने वाले उत्पादों की शेल्फ लाइफ छह महीने है। चम्मच, चाकू, कांटे, कटोरे, प्लेट, कप, आदि को बिना पकाए सीधे खाया जा सकता है, ये लंबे समय तक चलते हैं।

    यह है उद्देश्य

    शैला और लक्ष्मी ने बताया कि पर्यावरण की रक्षा के प्रति उनमें जुनून है। दोनों शुरू से ही खाद्य उद्योग में पर्यावरण के अनुकूल विकल्प पेश करना चाहती थीं।

    इसलिए इनकी कटलरी का उपयोग सिंगल यूज प्लास्टिक के बर्तनों की तरह होता है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए यह प्रयोग बेहद सफल हो रहा है।

    इन्हें एक वर्ष का समय लगा

    शैला ने घर में बने आटे और अन्य सामग्री से कई तरह के प्रयोग अब तक किए हैं। बेंगलुरु में एफएसएसएआई प्रमाणित प्रयोगशाला द्वारा कटलरी के नमूनों को मंजूरी मिलने के बाद ही उन्होंने आधिकारिक तौर पर कंपनी पंजीकृत कराई।

    ये शादी, जन्मदिन आदि के लिए कस्टमाइज उत्पाद भी मुहैया कराती हैं।

    यह है खासियत

    किसी भी प्रोडक्ट में आर्टिफिशियल कलर का इस्तेमाल नहीं होता। इन बर्तनों को बनाने में चुकंदर, गाजर और पालक जैसी सब्जियों और फलों से निकाले गए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है।

    सभी उत्पाद बाजरा, अनाज, दाल और मसालों से बने हैं और सीधे स्थानीय किसानों से लिए जाते हैं। ये कटलरी फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होती है जिसे पलानहल्ली में तैयार किया जाता है, इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिलता है।

    शैला कहती हैं कि कुछ अनोखे स्वाद हैं जिनमें शिमला मिर्च के अर्क, पान, वेनिला, दालचीनी, इलायची शामिल है। इन उत्पादों की कीमत 2 रुपए से 155 रुपए के बीच है।

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